(मैक्स अर्नेस्ट के लिए)
जैसे ही बस पलटी पीछे की ओर
रास्पाई बूलवार और शेर्श-मिदी मार्ग के कोने से
सामान्य राह में बाधा पहुँचाते काम से बचने के लिए
अजनबी एक कूद कर चढ़ा पायदान पर
ऊपर आया और कुछ ही पल में
आगे की सीट तक आकर ज़ोर से ये बोलते हुए बैठा
तुम सब जो मुझे सुन रहे हो, जान लो मेरा नाम है निराशा
उसने रख दिया था एक शब्द चिमनी पर
एक पिन दुहरी और थोड़ा-सा मक्खन
मेरे मित्र पूरे साल हँसते हुए जा चुके थे
प्रेम, ओ आभासित झूठ मैंने नहीं सुने प्रहर के घंटे
धोखा है, धोखा है
शरीर गुदे आदमी ने उसे सुना गाली देते हुए
उसे बेचनी चाहिए दो चुराई हुई अँगूठियाँ पचास फ़्रेंक में
मैं तुम्हारे लिए शीशा काट कर दिखाता हूँ इससे तुम हँसोगे
यह भगवान से मज़ाक़ करने का समय नहीं है
उसने ख़रीदे कुछ पोस्ट कार्ड अश्लील और ओझल हो गया एक पार्क में
जहाँ चहकती थी चिड़ियाएँ और खेलते थे बच्चे
आयाएँ अपनी कुर्सियों में धँस देखती थीं सपने
उसने अपनी नग्न औरतों को देखा और बैठ गया
निगाह उसकी भटकी और जल्दी ही चमकी
आदमी का विचार ही जुदा करता है माँ-बेटियों को
बड़ी घड़ी ने बजाए मैथुन
आपका खोया हुआ वाद्य वृंद रिसता है हरितिमा में
जहाँ दग़ाबाज़ चुंबन कराते है धीरे-धीरे
व्यर्थ जैसे समुद्र तुम अपनी ज़ुबाँ खींचते हो वापस
सोते हुए जंगल में सुंदर अतीत के
आलिंगन।
- पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 408)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : लुई आरागों
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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