दलितों की ज़ानिब सवर्ण घृणा
daliton ki zanib sawarn ghrina
दलितों की जानिब सवर्ण घृणा और बेईमानी
कभी दबे पाँव चला करती है
आस्तीन का साँप जैसे
बसन में छिपकर आता है
सवर्ण घृणा और बदनीयती कभी
नंगे पाँव भी चला करती है
'नॉट फ़ाउंड सूटेबल' जैसे
प्रगतिशील बामन कवि बद्री नारायण के नौकरशाह-निर्देशन में
खुला डिक्टेटर बनकर आता है।
- रचनाकार : मुसाफ़िर बैठा
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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