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वसंत के एक दिन : दोपहर के चार बजे

vasant ke ek din ha dopahar ke chaar baje

अनुवाद : शारका लित्विन

वोत्येज्स्लव नेज्वल

वोत्येज्स्लव नेज्वल

वसंत के एक दिन : दोपहर के चार बजे

वोत्येज्स्लव नेज्वल

और अधिकवोत्येज्स्लव नेज्वल

    (1)

    मैंने पढ़ी कहानी

    नाम भूल चुका हूँ

    लकड़ी की मेज़ याद में बची रही आँगन में

    आज लौटते हैं अनाम नगर और छुट्टियाँ

    कॉफ़ी-हाउस के बरामदे पर

    कोयले से लदे हुए ताँगे जा रहे हैं

    स्ट्राबेरी के जंगल में मटका लुढ़का है

    माँ की आवाज़ मुझे दुपहर के खाने के लिए बुला रही है

    औरतों से अँग्रेज़ी सिगरेट के धुएँ की ख़ुशबू आती है

    यह निरंतर मैं ही हूँ

    भूली हुई कहानी का लड़का

    आख़िरी किरण से सुलगाई गई सड़क को

    तनाव से देख रहा हूँ।

    (2)

    नीली टोपियों के जंगल में चरना है

    उससे अफ़्रीक़ी लड़का झुका पी रहा रहा है

    सार्वजनिक फ़ौआरे से जिसमें पत्ती गिर गई।

    (3)

    कविता लिखने का मतलब

    जीवन से भागना नहीं है

    इतनी देर के लिए भी नहीं

    जितनी देर के लिए हम औरत को चूमते समय जीवन से

    भागते हैं

    एक जीवन के बदले में दूसरा देता हूँ

    जैसे एक दूरबीन में दो चित्र

    हस्ताक्षर घसीटने की तरह हाथ हिलाते हुए।

    (4)

    जीना और बादलों को ताकना

    इसको स्वप्न देखना कहते हैं

    मैं दुनिया चाहता हूँ जिसमें

    बच्चे तक के लिए मैं बाधा रहूँ।

    (5)

    स्वभावतः सदाशयता और अच्छाई चाहते हुए

    मैं गर्व से तुमको बुलाता हूँ, क्रांति।

    (6)

    दुनिया बदल जाएगी। पर आदमी उदास होगा

    जब तक अपने अंदर अच्छे दोस्त को नहीं ढूँढ़ लेगा

    जब तक अपने अंदर स्नेही सहेली को नहीं ढूँढ़ लेगा

    जब तक अपने अंदर कवि और बच्चे को नहीं ढूँढ़ लेगा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 171)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : वोत्येज्स्लव नेज्वल
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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