Font by Mehr Nastaliq Web

शहीदों की समाधि

shahidon ki samadhi

अनुवाद : दिनेश चमोला

तखिं कोड़ौ माँई

तखिं कोड़ौ माँई

शहीदों की समाधि

तखिं कोड़ौ माँई

और अधिकतखिं कोड़ौ माँई

    स्वतंत्रता के महल पर

    कलश खड़ा करने

    पूर्व विजय के इतिहास में

    अंतर पाया गया

    फूल मुरझा गए

    शायद

    पिछले कार्यों के

    सीमित प्रभाव के कारण

    मरे थे औं सां:

    और शहीद

    मैं चाहता हूँ

    राजकीय शवयात्रा में

    उन्हें

    मोर पंखों के आवरण से ढक दें

    नहीं पाता हूँ इसका कोई उपाय

    वे शिष्य थे मेरे

    मेरा ध्यान खो गया

    मैं शोक में रोता हूँ

    काफ़िर में घृणा और हिंसा है

    अपने पौत्र द्वारा

    हत्या की गई अलौं: सीतू की

    लुटेरों ने लूट दिया उसका महल

    ख़ून की नदियाँ बहीं

    कई बर्मी राजाओं में

    इवा का तालुन

    शुल्क देकर

    मारने वालों की सहायता से

    अपने पुत्र द्वारा मारा गया

    इसी शृंखला में

    मारे गए

    बहुत लोग

    दूसरा उदाहरण

    मिंटे रेंदामीट को

    उसके भाई प्यि मिं ने मारा

    समन्या में

    धमसेती के शासन के दौरान

    बताया जाता है

    जनरल थामिब्रान को

    भूतों ने दबोचा

    और मार डाला

    इसलिए

    वे असंतुष्ट विरोधी ढंग से गए

    मांडले कई महलों के अहातों में

    जिसे मैं बहुत चाहता था

    मिंगन ने सहारा लिया

    हिंसा का

    और मारा गया ताज वाला राजकुमार

    ऐसे ही मौक़ों पर

    होते रहे कायरता पूर्ण कार्य

    मैं, म्यांग ने, सज्यांग में,

    सोचा अपने शिष्यों के साथ

    वे सच्चे नेता थे

    कार्य में और विचारों में

    उन्होंने

    जापानी और अँग्रेज़ों के ख़तरों

    दोनों का

    दो टूक जवाब दिया

    उन्होंने किया प्रयास

    हमारी मोरों वाली भूमि की

    प्रभुसत्ता को जीतने की

    और ऐसे में वृद्धि की

    तेगुवांग के इतिहास में

    अनादृत नेताओं का समूह

    धीरे-धीरे

    बन गया अधिक नशीला और मदांध

    चाही उन मूर्खों ने

    खुली लड़ाई लड़नी

    यह सभा एकत्रित थी

    आज़ादी के

    शाही शहर को स्थापित करने के लिए

    दुर्भाग्य के समय

    रुकने में असमर्थ

    नेता विदा हुए

    देवदूतों की धरा के लिए

    यह घटना हमारी

    शामों को उदास करने की है

    धामा के नगाड़े

    गूँजने लगे बर्मा के ऊपर

    अब लोगों को

    पहले से अधिक संख्या में एकत्रित होना है

    पताकाएँ क़ब्रिस्तान की और झुक गईं

    मैं चाहता हूँ

    उन नए प्रस्ताव के साथ श्रद्धांजलि देना

    उन मृतक सात लोगों के शाश्वत समाधि-स्थल में।

    करने दो

    शोक बर्मी लोगों का

    जब विजय हाथ में थी

    बुरे लोगों का धीमा प्रकाश मिट गया

    हमारे नेता डैर्गो नदी से गर्ग

    इधर-उधर बह गए

    ओह! महल में

    आज़ादी का कलश उठाने से पूर्व

    विजय का पुष्प

    मुरझा गया

    मुझे व्यक्तिगत क्षति हुई है

    औं सां: और

    शहीदों की शहादत पर

    स्रोत :
    • पुस्तक : समकालीन बर्मी कविताएँ (पृष्ठ 36)
    • संपादक : चन्द्र प्रकाश प्रभाकर 'मौतीरि'
    • रचनाकार : तखिं कोड़ौ माँई
    • प्रकाशन : इरावदी प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1994

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY