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वास्सिल लेव्स्की को फाँसी

vassil levski ko phansi

अनुवाद : ह्रिस्तो बोतेव

ह्रिस्तो बोतेव

अन्य

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ह्रिस्तो बोतेव

वास्सिल लेव्स्की को फाँसी

ह्रिस्तो बोतेव

और अधिकह्रिस्तो बोतेव

    मेरी माँ

    मेरी प्यारी जन्मभूमि

    घोर निराशा दुःख के कारण रोती हो क्यों?

    कौवे—अभिशप्त परिंदे

    कौन है जिसकी क़ब्र के ऊपर

    कर्कश काँव-काँव तुम करते।

    माँ, तुम रोती हो क्यों?

    मुझे पता है।

    तुम ग़ुलाम हो

    श्रम के बदले तुम्हें बहुत ही कम मिलता

    पावन बोल तुम्हारे दुःख की गाथा कहते

    डूब निराशा में अरण्य-रोदन ये करते।

    रोओ पास सोफ़िया के जाकर तुम रोओ

    जहाँ पेड़ पर काला फाँसी का फंदा है

    जिसमें सबसे प्यारा पुत्र तुम्हारा—बल्गारिया

    बुरी तरह लटका है।

    अति डरावने ढंग से कौवे काँव-काँव करते हैं

    गुर्राते भेड़िये, श्वान बेतहाशा भगते हैं।

    बूढ़े, आवेशों में खोये ईश्वर भजते

    सिसक रही नारियाँ, चीख़ते बच्चे।

    शैतानी का गीत शीत गुनगुना रहा है

    वायु वेग से भटकटैया मैदानों में हिलती

    हिम शीत निराशा के आँसू में

    हृदयवेदना तिरती।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बल्गारियाई कविताएँ (पृष्ठ 17)
    • संपादक : रमेश कौशिक
    • रचनाकार : ह्रिस्तो बोतेव
    • प्रकाशन : पराग प्रकाशन
    • संस्करण : 1985

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