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मलयज

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और अधिकमलयज

    एक पेड़ जो सबकी आरज़ुएँ पूरी कर देता था

    शहर के लोग रोज़ रोज़ उस पर

    मन्नतों के रंगीन चिथड़े बाँध आया करते थे

    इतिहास से ऊबकर

    एक जंगल में डूबकर

    मैं पाँव पाँव चलकर गया

    वहाँ उस पेड़ पर

    और उतार लाया सब चिथड़े

    उनसे नई आकृतियों को रचने

    इसी बीच जाने क्या हुआ

    शहर के लोग एक साथ बीमार पड़े मर गए...

    फलने लगी हैं अब उनकी मन्नतें

    मेरी रची उन आकृतियों से

    स्रोत :
    • पुस्तक : ज़ख़्म पर धूल (पृष्ठ 24)
    • रचनाकार : मलयज
    • प्रकाशन : रचना प्रकाशन
    • संस्करण : 1971

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