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आसानियाँ और मुश्किलें

asaniyan aur mushkilen

मनमोहन

मनमोहन

आसानियाँ और मुश्किलें

मनमोहन

और अधिकमनमोहन

    कहना आसान है

    और कहना मुश्किल

    लेकिन कहते चले जाना

    कहने जैसा है

    और काफ़ी आसान है

    इसी तरह रहना आसान है

    और रहना मुश्किल

    लेकिन रहते चले जाना

    रहने जैसा है

    और काफ़ी आसान है

    चाहें तो सहने के बारे में भी

    ऐसा ही कुछ कहा जा सकता है

    स्रोत :
    • पुस्तक : ज़िल्लत की रोटी (पृष्ठ 18)
    • रचनाकार : मनमोहन
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2006

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