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अप्रैल में ततैया

april mein tataiya

बजरंग बिश्नोई

बजरंग बिश्नोई

अप्रैल में ततैया

बजरंग बिश्नोई

और अधिकबजरंग बिश्नोई

    अप्रैल से वित्तवर्ष शुरू होता

    वित्तविहीन का चित्तवर्ष भी

    पीली ततैया शुरू करती हैं

    अपने छत्ते बनाने का काम

    जैसे गौरैया करती है

    अपने आने वाले बच्चों के लिए

    तिनका-तिनका चुनना

    तलाशना पुरानी धन्नी में कोई

    बिल जैसा सुराख उसमें

    तिनकों से घोंसला बुनने के लिए

    ततैया शुरू करती है

    जैसे ही चार अंगुल सूरज चढ़ता है

    पुराने घरों के पुराने दरवाज़ों की

    चौखटों से काठ के पुराने रेशों को चुगना

    ततैया के पंजे तो होते नहीं हैं

    दाँत भी किसने देखे हैं

    मूँछ के बाल जैसे चिमटे से

    इतनी नफ़ासत से उठाती है वह

    पुराने काठ के सूक्ष्मातिसूक्ष्म रेशे

    स्टेमसेलसर्जरी सीखी होगी किसी ने उसी से

    ततैया उस माइक्रो अंश को लेकर

    जाती है सरकारी पानी की बंद टैप तक

    बंद टोंटी के होंठों में

    अटका होता है एक बूँद पानी

    जैसे ओस की एक बूँद लटकी रह जाती है

    हरी पत्ती की नोक से

    ततैया को उस एक बूँद की माइक्रो बूँद

    भर की ज़रूरत होती है

    वह काठ के माइक्रो रेशे को

    इस माइक्रो बूँद पानी और

    अपने अंतर्स्राव से सान-मांड कर रख आती है

    दो मिनट में फिर फेरा करती

    पुरानी चौखट के काठ रेशे

    लटकी हुई पानी बूँद की माइक्रो बूँद के लिए

    और जब सूरज को रह जाती है

    उतरने को बस पाँच अंगुल की सीढ़ी

    ततैया अदृश्य हो जाती है

    ततैया के छत्ते का मोम

    मघुमक्खी के छत्ते जैसा भले हो

    पूरे अप्रैल भर में वह कम से कम

    पाँच-छह इंच व्यास का छत्ता बना लेती है

    यह छत्ता उसका घर-ख़ानदान होता

    पीली ततैया का डंक

    आदमी को पीड़ा दे सकता है

    ततैया के छत्ते परित्यक्त मिल जाएँगे

    जैसे मिल जाते हैं रेल-पटरी किनारे

    बस्ती से लहँगे की गोट पर रगड़ खाते

    बिर्रे जंगल में एबन्डंड रेलवे क्वार्टर

    आदमी भी बनाता है अपना घर छत्ता

    ठीक ततैया के ढर्रे पर

    रहता है बाल-बच्चे पालता है

    काटता है डंक मारता है

    ख़तरे को फूँक कर हुश करके उड़ाता है

    और घर छत्ता ख़ाली करके चला जाता

    अप्रैल में लौटती है ततैया

    और मई में लौटता है

    मुम्बई से यूपी का भैय्या

    स्रोत :
    • रचनाकार : बजरंग बिश्नोई
    • प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका

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