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अपने फूलों की दहक से

apne phulon ki dahak se

तेजी ग्रोवर

तेजी ग्रोवर

अपने फूलों की दहक से

तेजी ग्रोवर

और अधिकतेजी ग्रोवर

    अपने फूलों की दहक से

    वह भी तो तुम्हारी उँगलियों को छूने की प्रतीक्षा करती है

    कोई एकतरफ़ा प्रेम है यह

    कि नैराश्य में मिटी जा रही है तुम्हारी आँखें!

    नहीं है—

    कि त्वचा तुम्हारी महक को बरज दे मार्च के माह में

    नहीं यह भी नहीं

    यह भी सब झूठ ही गुनते हो तुम गूदा-गादी की ग़र्ज़ से

    तुम प्रेम करते हो उससे

    कि जीवन में यही एक प्रेम किया है तुमने

    कि इसी प्रेम की ख़ातिर

    तुमने पृथ्वी के असह्य सौंदर्य से क्षमा माँगी है कई बार

    उन दुखों से और प्यास के पहाड़ों से भी क्षमा माँगी है

    जो तुम्हे ध्वस्त किए भी तुम्हारी पँक्तियों में नहीं आते

    माँगी है क्षमा पाखियों और मनुष्य के शिशुओं से

    कई नर-मादा सर्पों से जिनकी सभ्यताएँ छीन ली गई हैं

    फिर भी प्यास लगी आती है तुम्हारे शब्दों की देह को

    जब शब्दों और अर्थों के बीच

    तुम्हारे हृदय की धड़कन

    और मेज़ पर बेवजह धरे पन्नों के बीच

    एक अलंघ्य दूरी है

    क्षमा माँगो कि क्षमा भी एक व्यर्थ का कर्म है, मित्र

    जो बचा ले जाता है तुम्हें एक मुक्ताकाश में

    वह भी तो तुम्हारी उँगलियों को छूने के प्रतीक्षा करती है

    अपने फूलों की दहक से—

    प्रतीक्षा

    समय की बनी हुई नहीं है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : तेजी ग्रोवर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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