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अनुपस्थित की उपस्थिति

anupasthit ki upasthiti

अनुराधा ओस

अनुराधा ओस

अनुपस्थित की उपस्थिति

अनुराधा ओस

और अधिकअनुराधा ओस

    अनुपस्थिति की पीड़ा उपस्थित ही समझेगा

    क्या अभी वहाँ मेरे होने का कुछ बाक़ी है

    क्या तुम्हें महसूस होती है मेरी उपस्थिति?

    जब मैं वहाँ नहीं हूँ

    अनुपस्थिति की पीड़ा उपस्थित ही समझे शायद

    जबकि शायद ही वहाँ कुछ निशान बचा हो

    शायद कुछ छिंटाया हो वहाँ मेरा

    दर्द कसकता है किसी कोने में देह के

    तुम्हारे अदृश्य कँधों पर सिर रखकर

    अक्सर आँखो से धार गिरने तलक रो लेती हूँ

    कभी साक्षात् मिल गए तो

    पहचान भी सकूँगी तुम्हें

    लेकिन तुम्हारी उपस्थिति की उजास

    अँधेरे कोने में जलते दिए कि मानिंद रहती है मेरे साथ

    कभी-कभी तुम्हारी अनुपस्थिति

    उपस्थिति लगती है मुझे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुराधा ओस
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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