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कामदेव

kamdev

श्री अरविंद

और अधिकश्री अरविंद

    अंतर्घाटियों में पाटल पुष्पों से प्रच्छन्न 
    जब मधुर प्रेम करता शयन, 
    क्या इन्हीं कुंजों में वह जीता और मर जाता या उसके होते पंख 
    अपने स्वर्ग लोकों में करने के लिए आरोहण?

    दीप्तिमान पर्वतों के शिखरों पर यदि हम मिलें उससे 
    गर्वोन्नत और मुक्त, 
    घाटियों के प्रति क्या उसकी नहीं होंगी भ्रू कुंचित? शृंखलाओं से बँध जाना 
    क्या यह होगा उसके उपयुक्त?

    तब क्या तुम कहोगे एक को किंकर और कामासक्त, 
    और दूसरे को अनावृत नितांत? 
    पर हम करते उद्घोषणा ईश्वर ही है अनन्य चाकर 
    और केवल वही है सम्राट।

    सेवा के लिए ईश्वर का हुआ है निर्माण, हमारी कामना-हित 
    वह बना है 'प्रेम', एक कुमार, एक सेवक; 
    ईश्वर ही है गर्वोन्न्त, युक्त और हमारी आत्माओं के अनुरूप 
    एक निस्सीम निरंकुश शासक।
    स्रोत :
    • पुस्तक : श्री अरविंद | चुनिंदा कविताएँ (पृष्ठ 122)
    • रचनाकार : श्री अरविंद
    • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
    • संस्करण : 2020
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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