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दोहे

अपभ्रंश साहित्य का प्रमुख छंद, जो कालांतर में लोक साहित्य का सबसे प्रिय छंद बना। यह अपने छोटे से कलेवर में कई बातें समेटने की क्षमता रखता है, इसीलिए इसे गागर में सागर भरने वाला छंद बताया गया है।

श्रीहित हरिवंश की शिष्य-परंपरा के कला-कुशल और साहित्य-मर्मज्ञ भक्त कवि।

1860 -1928

द्विवेदी युग के कवि-अनुवादक। स्वच्छंद काव्य-धारा के प्रवर्तक।

1538

वृंदाविपिन विलासी राधा और कृष्ण के उपासक निंबार्क संप्रदाय के महत्त्वपूर्ण कवि।

रीतिकालीन अलक्षित कवि।