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दोहे

अपभ्रंश साहित्य का प्रमुख छंद, जो कालांतर में लोक साहित्य का सबसे प्रिय छंद बना। यह अपने छोटे से कलेवर में कई बातें समेटने की क्षमता रखता है, इसीलिए इसे गागर में सागर भरने वाला छंद बताया गया है।

1643 -1735

रीतिकालीन नीतिकवि। सूक्तिकार के रूप में स्मरणीय।

रीतिकालीन कवि। शृंगार और प्रेम की भावभूमि के सुंदर दोहों के लिए स्मरणीय।

1895 -1988

शुक्लयुगीन हिंदी गद्यकार और ब्रज भाषा के कवि। गांधीवाद के अनुसरण और दलित सेवा के लिए भी उल्लेखनीय।

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