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सजल सरल घनस्याम अब

sajal saral ghanasyam ab

सत्यनारायण कविरत्न

सत्यनारायण कविरत्न

सजल सरल घनस्याम अब

सत्यनारायण कविरत्न

और अधिकसत्यनारायण कविरत्न

    सजल सरल घनस्याम अब, दीजै रस बरसाय।

    जासों ब्रजभाषा-लता, हरी-भरी लहराय॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ब्रजमाधुरी सार (पृष्ठ 366)
    • संपादक : वियोगी हरि
    • रचनाकार : सत्यनारायण कविरत्न
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 2002

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