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रसना को रस ना मिलै

rasna ko ras na milai

श्रीधर पाठक

श्रीधर पाठक

रसना को रस ना मिलै

श्रीधर पाठक

और अधिकश्रीधर पाठक

    रसना को रस ना मिलै, अनत अहो रसखान।

    कान सुनैं नहिं आन गुन, नैन लखैं नहिं आन॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 483)
    • संपादक : महालचंद बयेद
    • रचनाकार : श्रीधर पाठक
    • प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
    • संस्करण : 1937
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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