जमला ऐसी प्रीत कर
jamla aisi preet kar
जमला ऐसी प्रीत कर, जैसी हिंदू जोय।
पूत पराये कारणे, जलबल कोयला होय॥
प्रीति तो ऐसी करनी जैसी कि एक हिन्दू स्त्री करती है। वह परजाए पुरुष (अपने पति) के लिये समय पड़ने पर स्वयं को राख बना देती है।
- पुस्तक : जमाल दोहावली
- संपादक : महावीर सिंह गहलोत
- प्रकाशन : पुस्तक भवन
- संस्करण : 1945
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