‘हिन्दवी उत्सव’ 2024 : आप सादर आमंत्रित हैं
हिन्दवी डेस्क 28 जुलाई 2024
हिंदी साहित्य को समर्पित रेख़्ता फ़ाउंडेशन के उपक्रम ‘हिन्दवी’ की चौथी वर्षगाँठ के मौक़े पर आज—28 जुलाई 2024 के रोज़, त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में ‘हिन्दवी उत्सव’ आयोजित किया जा रहा है।
बीते तीन वार्षिक आयोजन की तरह इस वर्ष भी इस साहित्यिक आयोजन में हिंदी संसार से संबद्ध महत्त्वपूर्ण साहित्यिक हस्तियाँ शरीक होंगी।
‘हिन्दवी उत्सव’ 2024—का शुभारंभ 28 जुलाई 2024, शाम 4 बजे हमारे मुख्य अतिथि समादृत साहित्यकार राधावल्लभ त्रिपाठी द्वारा किया जाएगा।
आयोजन में तीन सत्र होंगे।
प्रथम सत्र—‘विमर्श सत्र : जो आदमी हम बना रहे हैं’—4:25 से 5:30 PM के बीच होगा। सत्र के अतिथि-वक्ता हैं—कवि-समाज विज्ञानी बद्री नारायण, लेखक-पत्रकार ओम थानवी, संपादक-पत्रकार मनीषा पांडे। सत्र का संचालन मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार करेंगे।
यह सत्र सोशल मीडिया और हमारे संबंधों से जुड़ा है। ऐसा युग जब मोबाइल फ़ोन और हमारे हाथों की घनिष्ठता चरम पर है, झिलमिलाती स्क्रीन के इस युग में अंतहीन सूचनाओं के बीच, जो डिजिटल बुलबुले उठ रहे हैं—उससे एक आकृति उभर रही है। यह मांस और ख़ून की नहीं; पिक्सल और हैशटैग्स की बनी है। यह वही आदमी है जिसे हम सोशल मीडिया के माध्यम से बना रहे हैं।
यह आदमी जिसका जीवन एक रील जैसा है, प्रत्येक पल पिछले से अधिक चमकदार। वह धूप से भरे कमरे में 16 डिग्री सेल्सियस पर चल रहे एसी में जागता है और पर्यावरण को लेकर चिंतित रहता है। वह मीम्स पर हँसता है, वायरल वीडियो पर रोता है और उसका दिल सूचनाओं की धुन पर धड़कता है। उसके अनुभव स्क्रिप्टेड हैं, उसकी दोस्ती फ़ॉलोअर्स में मापी जाती है।
आयोजन का द्वितीय सत्र—‘विमर्श सत्र : सहना और कहना’—5:45 से 6:45 PM के बीच होगा। सत्र के अतिथि-वक्ता हैं—लेखक हरिराम मीणा, आलोचक सुधा सिंह, कवि-इतिहासकार रमाशंकर सिंह। सत्र का संचालन लेखक-पत्रकार अणुशक्ति सिंह करेंगी।
हमारा समाज चली आ रही रूढ़िवादी धारणाओं और प्रचलित प्रतिमानों, परंपराओं और आधुनिकता के धागों से बुनकर बना है। समकालीन दौर जहाँ बताया जा रहा है कि जाति, लिंग और वर्ग का भार हल्का हुआ है और अब यह समय हाशिये के लोगों की जीवन-संभावनाओं को पहले की तरह सीमित नहीं कर रहा है।
वहीं दूसरी ओर आज भी अदृश्य सीमाएँ बनातीं रूढ़ियों और प्रचलित प्रतिमानों को कई लोग पार करने के प्रयास में संघर्ष करते दिखते हैं। उनकी दृढ़ता आज भी रूढ़िवादी धारणाओं को चुनौती दे रही है।
वे सह रहे हैं और कह रहे हैं—यह दृश्य कवि आलोकधन्वा की उस स्त्री की स्मृति सदृश लगता है जिसमें एक महानगर के दिल में, एक साड़ी और स्नीकर्स पहने महिला आत्मविश्वास से अपनी जॉब पर जाती है। वह ऐसा जीवन बुन रही है जो प्रचलित पैटर्न को नकारते हैं।
आयोजन का अंतिम सत्र—‘कविता-पाठ : कविता-संध्या’—7:15 से 8:30 PM के बीच होगा। हिन्दवी के आयोजनों में हुए कविता-पाठ हिंदीप्रेमियों के बीच खासे चर्चित और पॉपुलर हुए हैं। इसी क्रम और परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, हिंदीप्रेमियों के लिए इसबार भी कविता-संध्या सत्र तैयार किया गया है। सत्र के अतिथि-कवि हैं—उदय प्रकाश, निर्मला पुतुल, कृष्ण कल्पित, रामाज्ञा शशिधर, बाबुषा कोहली, पराग पावन। सत्र का संचालन रचित करेंगे।
आयोजन में आपकी उपस्थिति के प्रति हम कृतज्ञ रहेंगे। ‘हिन्दवी उत्सव’ में सीटें 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर उपलब्ध हैं।
'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए
कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें
आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद
हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे
बेला पॉपुलर
सबसे ज़्यादा पढ़े और पसंद किए गए पोस्ट
06 अगस्त 2024
मुझे यक़ीन है कि अब वह कभी लौटकर नहीं आएँगे
तड़के तीन से साढ़े तीन बजे के बीच वह मेरे कमरे पर दस्तक देते, जिसमें भीतर से सिटकनी लगी होती थी। वह मेरा नाम पुकारते, बल्कि फुसफुसाते। कुछ देर तक मैं ऐसे दिखावा करता, मानो मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा हो
23 अगस्त 2024
उन सबके नाम, जिन्होंने मुझसे प्रेम करने की कोशिश की
मैं तब भी कुछ नहीं था, और आज भी नहीं, लेकिन कुछ तो तुमने मुझमें देखा होगा कि तुम मेरी तरफ़ उस नेमत को लेकर बढ़ीं, जिसकी दुहाई मैं बचपन से लेकर अधेड़ होने तक देता रहा। कहता रहा कि मुझे प्यार नहीं मिला, न
13 अगस्त 2024
स्वाधीनता के इतने वर्ष बाद भी स्त्रियों की स्वाधीनता कहाँ है?
रात का एक अलग सौंदर्य होता है! एक अलग पहचान! रात में कविता बरसती है। रात की सुंदरता को जिसने कभी उपलब्ध नहीं किया, वह कभी कवि-कलाकार नहीं बन सकता—मेरे एक दोस्त ने मुझसे यह कहा था। उन्होंने मेरी तरफ़
18 अगस्त 2024
एक अँग्रेज़ी विभाग के अंदर की बातें
एक डॉ. सलमान अकेले अपनी केबिन में कुछ बड़बड़ा रहे थे। अँग्रेज़ी उनकी मादरी ज़बान न थी, बड़ी मुश्किल से अँग्रेज़ी लिखने का हुनर आया था। ऐक्सेंट तो अब भी अच्छा नहीं था, इसलिए अपने अँग्रेज़ीदाँ कलीग्स के बी
17 अगस्त 2024
जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ : बिना काटे भिटवा गड़हिया न पटिहैं
कवि जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ (1930-2013) अवधी भाषा के अत्यंत लोकप्रिय कवि हैं। उनकी जन्मतिथि के अवसर पर जन संस्कृति मंच, गिरिडीह और ‘परिवर्तन’ पत्रिका के साझे प्रयत्न से जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ स्मृति संवाद कार्य