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हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का शब्दकोश : पंडित अमरनाथ की विरासत को नया आयाम

26 नवंबर, 2025 को नई दिल्ली में शास्त्रीय संगीत गुरु पंडित अमरनाथ द्वारा रचित ‘हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का शब्दकोश’ के हिंदी संस्करण का लोकार्पण इंडिया इंटरनेशनल सेंटर-एनेक्स में हुआ। इस अवसर पर पंडित अमरनाथ की आवाज़ में सहेजी गई विभिन्न रागों की रिकॉर्डिंग का भी विमोचन किया गया, जिन्हें विशाल भारद्वाज प्रोडक्शंस ने तैयार किया है।

कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत गुरु अमरजीत जस, कथक नृत्यांगना निशा महाजन, गायक रेखा भारद्वाज, लेखक गजरा कोट्टारी तथा पुस्तक के अनुवादक और संगीतज्ञ राकेश पाठक बतौर वक्ता उपस्थित रहे। इन सभी से संगीत साधक-संपादक नीता गुप्ता ने संवाद किया। बातचीत के दौरान वक्ताओं ने पंडित अमरनाथ से जुड़े अपने संस्मरण साझा किए।

अमरजीत जस ने कहा, पंडित अमरनाथ के पास शब्दों का अद्भुत भंडार था। उन्होंने यह शब्दकोश तैयार कर संगीत-प्रेमियों के लिए बहुत बड़ा काम किया है। अब इसका हिंदी में उपलब्ध होना इसे और अधिक लोगों तक पहुँचाएगा। संगीत सीखने वाले युवाओं को सलाह देते हुए, उन्होंने कहा कि हमें गाने से ज़्यादा सुनने की आदत डालनी चाहिए। वहीं निशा महाजन ने कहा, संगीत को जाने बिना नृत्य अधूरा होता है। मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि मुझे पंडित जी से संगीत सीखने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि गुरुजी कहा करते थे—संगीत फ़क़ीरी का नाम है; इसे अपने सुख के लिए करो।

रेखा भारद्वाज ने कहा, व्यक्तिगत रूप से हम दुनिया में जो सबसे बड़ा योगदान कर सकते हैं, वह है एक बेहतर इंसान बनने की कोशिश करना। अच्छे संगीत को लेकर मेरी जो समझ बनी है, वह मैं अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाना चाहती हूँ। यही मेरे लिए सबसे बड़ा योगदान होगा।

उन्होंने कहा, मेरी इच्छा है कि मैं गुरुजी से सीखा हुआ एक राग, एक बंदिश पूरी साधना के साथ गा सकूँ, जहाँ मैं चार आलाप करूँ, दो-तीन छोटी-छोटी तानें करूँ और राग को उस मुक़ाम तक ले जाऊँ कि सुनने वालों को लगे, हाँ, यह मैंने पंडित अमरनाथ जी से सीखा है। मुझे लगता है यही गुरुजी के प्रति मेरी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने आगे कहा, मैं ऐसी चीज़ें करती रहती हूँ, ताकि उनसे जुड़ी रह सकूँ, क्योंकि मुझे उनकी मौजूदगी आज भी उतनी ही गहराई से महसूस होती है।

पंडित अमरनाथ से संगीत सीखने के अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा, पंडित जी सप्ताह में सिर्फ़ दो दिन, पंद्रह-पंद्रह मिनट ही संगीत सिखाते थे, लेकिन उन्हीं पंद्रह मिनटों में वह इतना कुछ दे देते थे कि उसे समझने और रियाज़ करने में हमें पूरा सप्ताह भी कम पड़ जाता था। उन्होंने बताया कि गुरुजी कहा करते थे, सबको सुनो और जिससे जो अच्छा मिले वह सीखते रहो। इसके बाद उन्होंने कुछ बंदिशें भी गाकर सुनाईं और कहा कि इस शाम का जितना शुक्रिया अदा करें, कम है।

शब्दकोश के अनुवादक राकेश पाठक ने इस मौक़े पर कहा, इस पल को जीकर मैं अभिभूत हूँ। इस शब्दकोश का अनुवाद करते हुए मैंने बहुत कुछ सीखा। जीवन में ऐसे अवसर आते हैं, जब हम उनसे दूर हो जाते हैं जिनसे सीखते हैं, पर जब आप सीखना चाहते हैं, तो कोई न कोई आपको मार्ग दिखाने वाला मिल ही जाता है। इस अनुवाद को करते हुए भी मुझे संगीत साधकों का मार्गदर्शन मिलता रहा, जिससे यह काम संभव हो पाया। गजरा कोट्टारी ने कहा, मेरे पिता पंडित अमरनाथ जी अपने पीछे संगीत और साहित्य की जो विरासत छोड़ गए थे उसे सहेजने में जिन लोगों का योगदान रहा है, उनके प्रति मैं आभारी हूँ।

‘हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का शब्दकोश’

पंडित अमरनाथ को ‘संगीतकारों का संगीतकार’ कहा जाता है। इस कोश में उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तकनीकी शब्दावली को सबकी समझ में आने लायक़ शब्दों में प्रस्तुत किया है। संगीत क्षेत्र के महान् गुरुओं की प्रसिद्ध उक्तियों और प्रचलित कहावतों-मुहावरों की पृष्ठभूमि और अर्थ-विश्लेषण इस शब्दकोश की अन्य बड़ी विशेषताएँ हैं। 

अँग्रेज़ी में यह कोश ‘The Dictionary of Hindustani Classical Music’ नाम से प्रकाशित है, जिसका हिंदी में अनुवाद संगीतज्ञ राकेश पाठक ने किया है। हिंदी संस्करण की प्रस्तावना गायक रेखा भारद्वाज ने लिखी है। साथ ही पंडित अमरनाथ की पुत्री बिंदु चावला ने उनका विस्तृत जीवन परिचय लिखा है। इस कोश को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।

पंडित अमरनाथ (22 मार्च, 1924 — 09 मार्च, 1996) को उस्ताद अमीर ख़ान साहब द्वारा शुरू किए गए इंदौर घराने के अग्रणी गायक के रूप में मान्यता प्राप्त है। उनका जन्म लाहौर के निकट झंग गाँव में हुआ और लाहौर में शुरुआती सालों में उन्होंने प्रोफ़ेसर बी.एन. दत्ता से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण की। संगीत-आलोचक राघव मेनन ने उन्हें बीसवीं सदी के चार महानतम संगीतकारों में से एक का दर्जा दिया है। गायक, संगीतकार, गुरु और लेखक के रूप में प्रख्यात पंडित अमरनाथ ने फ़िल्म ‘गरम कोट’ में संगीत निर्देशन किया और इस फ़िल्म में लता मंगेशकर के गाए गीत ख़ूब प्रसिद्ध हुए। आनेवाली पीढ़ियों के लिए वह कला का एक भव्य और उदात्त खजाना छोड़कर गए।

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