लोकप्रिय समकालीन बर्मी लेखिका। स्त्री और लिंग-विषयक विमर्श में योगदान के लिए उल्लेखनीय।
कंपाउंड के एक कोने में खेलते-खेलते अचानक कुछ याद आया और जब मैं घर दौड़कर आया तो माँ घर के सामने एक खटिया पर बैठ चुकी थी। तेल वाले चमकीले कप्तान सिगरेट टिन के डिब्बे से पैसे निकाल रही माँ ने आलमारी से लोहे का एक प्लेट अचानक निकाला और चावल का पतीला खोलते
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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