1890 - 1938
सुप्रसिद्ध चेक लेखक, नाटककार, समालोचक और पत्रकार। 'साइंस फ़िक्शन' लेखन के लिए उल्लेखनीय।
“इसमें कोई संदेह नहीं,” बूढ़े सज्जन श्री कारास ने कहा, “अगर कोई अपने अतीत का लेखा-जोखा करे, तो उसे अपनी ज़िंदगी में ही अलग-अलग क़िस्म की ज़िंदगियों के सूत्र मिल सकते हैं। यह संयोग की ही बात है कि किसी एक दिन वह ग़लती से—या शायद अपनी इच्छा से—एक ख़ास क़िस्म
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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