भारतेंदु हरिश्चंद्र के निबंध
भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?
आज बड़े आनंद का दिन है कि छोटे-से नगर बलिया में हम इतने मनुष्यों को एक बड़े उत्साह से एक स्थान पर देखते हैं। इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है। बनारस ऐसे-ऐसे बड़े नगरों में जब कुछ नहीं होता तो हम यह न कहेंगे कि बलिया में जो कुछ हमने
दिल्ली दरबार दर्पण (THE DELHI ASSEMBLEGE MEMORANDUM)
जयति राजराजेश्वरी जय युवराज कुमार। जय नृप-प्रतिनिधि कवि लिटन जय दिल्ली दरबार। स्नेह भरन तम हरन दोउ प्रजन करन उजियार। भयो देहली दीप सो यह देहली दरबार॥ सब राजाओं की मुलाक़ातों का हाल अलग-अलग लिखना आवश्यक नहीं, क्योंकि सबके साथ वही मामूली बातें हुईं।