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शिशिर पर दोहे

छह ऋतुओं में से एक शिशिर

शीत ऋतु है; जब घना कोहरा छाने लगता है, दिशाएँ धवल-उज्ज्वल हो जाती हैं और भारी ओस से प्रकृति भीग जाती है। मान्यता है कि शिशिर में सूर्य अमृत-किरणों की वर्षा करता है। प्रस्तुत चयन में शिशिर को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।

लतिका विटपालंबिनी, जरत सीत मैं सोय।

तुम बिन कैसे सिसिर मैं, मों बचिबो हित होय?

मोहन

लेति आनि निसि घेरि के, सीत तेज तन लागि।

राखति प्रानन नाह बिन, सुरति नाह हिय लागि॥

भूपति

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