सरस्वती पर बेला
सरस्वती विद्या की देवी
हैं। उनकी स्तुति और प्रशंसा में प्राचीन समय से ही काव्य-सृजन होता रहा है। विद्यालयों में प्रार्थना के रूप में निराला विरचित ‘वर दे, वीणावादिनी वर दे!’ अत्यंत लोकप्रिय रचना रही है। समकालीन संवादों और संदर्भों में भी सरस्वती विषयक कविताओं की रचना की गई है।
महाकुंभ : जैसा मैंने देखा
अष्टभुजा शुक्ल कहते हैं— “और कोई आए-न-आए लेकिन कुंभ आएगा... ...कुंभ आ रहा है, बल्कि कुंभ आ चुका है।” जब महाकुंभ का आगमन हो रहा था तब मैंने यह पंक्तियाँ उद्धृत की थी। लेकिन अब महाकुंभ बीत गया त