
मैं जानता हूँ कि बहुत से अख़बारनवीस ऐसे होते हैं, जो थोड़ा इधर पूछते हैं, थोड़ा उधर पूछते हैं और बात गढ़ लेते हैं। लेकिन मैं कहूँगा कि वे लोग उच्छिष्ट भोजन खाते हैं। उच्छिष्ट भोजन करना अख़बारनवीस का धर्म नहीं है।
मैं जानता हूँ कि बहुत से अख़बारनवीस ऐसे होते हैं, जो थोड़ा इधर पूछते हैं, थोड़ा उधर पूछते हैं और बात गढ़ लेते हैं। लेकिन मैं कहूँगा कि वे लोग उच्छिष्ट भोजन खाते हैं। उच्छिष्ट भोजन करना अख़बारनवीस का धर्म नहीं है।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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