शरत के साथ बिताया कुछ समय
याद आता है, स्कूल-जीवन में, जब से उपन्यास और कहानियाँ पढ़ने का शौक़ हुआ, मैंने शरत बाबू की कई पुस्तकें पढ़ डालीं। एक-एक पुस्तक को कई-कई बार पढ़ा और आज जब उपन्यास अथवा कहानी पढ़ना मेरे लिए केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, वरन् अध्ययन का प्रधान विषय