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पतझड़ पर ब्लॉग

उदास शहर की बातें

उदास शहर की बातें

एक इन दिनों अजीब-सी बेरुख़ी है, मार्च की हवा चुभ रही है। ख़ुद से लड़ाई बढ़ती चली जा रही है। जब लड़ाई ख़ुद से हो तो जीतने में कोई रस नहीं रहता, क्योंकि जो हार रहा होता है; उसमें भी हमारा होना बचा होता है।

गौरव गुप्ता
वसंत की चोट सबसे मारक होती है

वसंत की चोट सबसे मारक होती है

सुबह कद्दू का एक फूल खिला था—उजला! लेकिन उसके उजलेपन में भी एक मटमैली आभा थी। वैसी ही जैसे मनुष्य में होती है। कितना भी उजला हो, उसमें कुछ मटमैलापन कुछ दाग़ रह ही जाते हैं। शायद यह मटमैलापन ही उसे मनु

उपासना

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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