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रात, डर और सुबह
और मैं कोने में खड़ी हूँ नंगीमैं देखती हूँ कई निगाहों के सामने ख़ुद को घुटते हुए
नेहा नरूका
सीरिया और इराक़ के बच्चों के लिए
और सिर्फ़ लाल और हरे के बाइनरी कोड को पहचानती हैंपीछे मुड़कर नहीं देखतीं
विजया सिंह
शक्ति के उन्मत्त भैरव और न्याय माँगते हुए रोओं के हाथ
सुस्त और नि:शब्दकाठमांडू के बाज़ार के शक्ति के उन्मत्त भैरव