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सवैया

वर्णिक छंद। चार चरण। प्रत्येक चरण में बाईस से लेकर छब्बीस तक वर्ण होते हैं।

सरस कल्पना के भावुक कवि। स्वभाविक, चलती हुई व्यंजनापूर्ण भाषा के लिए स्मरणीय।

1981

इस सदी में सामने आए हिंदी कवि-आलोचक और अनुवादक। जन संस्कृति मंच से संबद्ध।

रीतिकाल के महत्त्वपूर्ण कवि। निश्छल भावुकता, सूक्ष्म कल्पनाशीलता और सुकुमार भावों के अत्यंत ललित चित्रण के लिए प्रसिद्ध।

1583 -1688

शृंगारी कवि। नायिका के अंग-वर्णन के लिए प्रसिद्ध। एक-एक अंग पर सौ-सौ दोहे लिखने के लिए स्मरणीय।

1535 -1610

अकबर के दरबारी कवि। भक्ति और नीति संबंधी कविताओं के लिए स्मरणीय।

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

1880 -1967

सीतामऊ नरेश। वास्तविक नाम रामसिंह। काव्य-भाषा ब्रजी।

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