झूठो है, झूठो है, झूठो सदा जगु
jhutho hai, jhutho hai, jhutho sada jagu
झूठो है, झूठो है, झूठो सदा जगु, संत कहंत जे अंतु लहा है।
ताको सहै सठ! संकट कोटिक, काढ़त दंत, करंत हहा है।
जानपनी को गुमान बड़ो, तुलसी के बिचार गँवार महा है।
जानकी जीवनु जान न जान्यौ तो जान कहावत जान्यो कहा है॥
तुलसीदास जी अपने लिए कहते हैं कि अरे दुष्ट! जिन संतों ने इस संसार की थाह पा ली है, वे कहते हैं कि संसार झूठा है, झूठा है, झूठा है। परंतु तू उसके लिए करोड़ों संकट सहता है और दाँत निकालकर हाय-हाय करता है। तुझे अपने ज्ञानी होने का बड़ा अभिमान है, परंतु मेरे विचार से तो तू महा गँवार है। यदि तूने ज्ञान के द्वारा जानकी जीवन श्रीराम को नहीं जाना तो तूने ज्ञानी कहलाते हुए भी क्या जाना?
- पुस्तक : कवितावली (पृष्ठ 91)
- रचनाकार : तुलसी
- प्रकाशन : गीताप्रेस
- संस्करण : 2017
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