किसको कहूँ भजन की बाताँ
kisko kahun bhajan ki batan log bhram mein bhulaji
संत लाधूनाथ
Sant Ladhunath
किसको कहूँ भजन की बाताँ
kisko kahun bhajan ki batan log bhram mein bhulaji
Sant Ladhunath
संत लाधूनाथ
और अधिकसंत लाधूनाथ
किसको कहूँ भजन की बाताँ लोग भ्रम में भूलाजी।
सुख सागर हरी नाम छोड़कर दुख समंदर में झूला जी॥
पाँच तत्व अरू तीन गुणा का काया का स्थूला जी।
दशवें गुप्त लगाया ताला नव दरवाज़ा खुला जी॥
झूठा खेल रचे दुनियाँ में जैसे दुली दुला जी।
पल में ऊपजे पल में बिणसे पाणी का बुलबुला जी॥
पापी नुगरा दुःखी जगत में आँधा पँगला लूला जी।
दया धर्म जिसके घट नहीं है उनका सब धन धूला जी॥
काले चक्कर में देवी-देवता काजी-पंडित-मुल्ला जी।
लाधूनाथ आत्मा खोजी सब जुग अमर खुला जी॥
- पुस्तक : लाधूनाथ वाणी प्रकाश (पृष्ठ 400)
- रचनाकार : संत लाधूनाथ
- प्रकाशन : महन्त श्री गणेश नाथ जी
- संस्करण : 2001
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