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मन राम भजन रहु राजी रे

man ram bhajan rahu raji re

दूलनदास

दूलनदास

मन राम भजन रहु राजी रे

दूलनदास

और अधिकदूलनदास

    मन राम भजन रहु राजी रे।

    दुनियाँ दौलत काम अईहै, मति भूलहु गज बाजी रे।

    निसु दिन लगन लगी भगवानहिं, काह करै जम पाजी रे॥

    तन मन मगन रहौ सिधि साधो, अमर लोक सुधि साजी रे।

    दूलनदास के साईं जगजीवन, हरि भगती कहि गाजी रे॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संतबानी (पृष्ठ 12)
    • रचनाकार : दूलनदास
    • प्रकाशन : प्रोप्रैटर वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
    • संस्करण : 1937

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