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जब लग परम तत्तु नहिं जाने

jab lag param tattu nahin jaane

धरनीदास

धरनीदास

जब लग परम तत्तु नहिं जाने

धरनीदास

और अधिकधरनीदास

    जब लग परम तत्तु नहिं जाने।

    तब लग भरम नहिं भाजे, करम कीच लपटाने॥

    सहस नाम कहि कहा भयो मन, कोटि कहत अघाने।

    भूले भरम भागवत पढ़ि के, पूजत फिरत पखाने॥

    का गिरि कंदर मंदर माहें, कंद मूरि खनि खाने।

    कहा जो बरस हजार रह्यो तन, अंत बहुरि पछिताने॥

    दानि कबीसुर सरसुती, रंक होउ भा राने।

    प्रेम प्रतीति अमिय परचे बिनु, मिले पद निरवाने॥

    मन वच करम सदा निसिवासर, दूजो ज्ञान ध्याने।

    धरनी जन सतगुरु सिर ऊपर, भक्त-वछल भगवाने॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : धरनीदास की बानी (पृष्ठ 20)
    • रचनाकार : धरनीदास
    • प्रकाशन : वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
    • संस्करण : 1931
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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