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हम आदमी हां इक दमी मुहलति

ham aadamii haa.n ik damii muhalti

गुरु नानक

गुरु नानक

हम आदमी हां इक दमी मुहलति

गुरु नानक

और अधिकगुरु नानक

    हम आदमी हां इक दमी मुहलति मुहतु जाणा।

    नानकु बिनवै तिसै सरेवहु जाके जीअ पराणा॥

    अंधे जीवना वीचारि देखि केते के दिना॥ रहाउ॥

    सासु मासु सभु जीउ तुमारा तू मै खरा पिआरा।

    नानकु साइरु एव कहतु है सचे परवरदगारा॥

    जे तू किसै देही मेरे साहिबा किआ को कढै गहणा।

    नानकु बिनवै सो किछु पाईऐ पुरबि लिखे का लहणा॥

    नाम खसम का चिति कीआ कपटी कपटु कमाणा।

    जम दुआरि जा पकड़ि चलाइआ ता चलदा पछुताणा॥

    जब लगु दुनीआ रहीऐ नानक किछु सुणीऐ किछु कहीऐ।

    भालि रहे हम रहणु पाइआ जीवतिआ मरि रहीऐ॥

    हम आदमी हैं अर्थात् हम में आदमी होने के गुण तो हैं, पर हम परमात्मा के दिए हुए जीवन की महता समझते नहीं हैं। नानक समझाते हैं कि उसी परमात्मा की सेवा-चर्या करो जो जीवनदाता हैं। अरे अक्ल के अंधे! जीवन के मर्म को विचारपूर्वक समझ ले कि तुझे आख़िर इस संसार में कितने दिन रहना है?

    तुम्हारे शरीर के अस्थि-मांस, श्वास-प्राण सभी कुछ तो उसी के हैं, सभी प्राणों में वही एक तो विराजमान है। विचारक कवि नानक कहते हैं कि वह परवरदिगार ही सच्चा है।

    हे साहिब! यदि तू किसी को कुछ दे तो कोई अपने लिए क्या गहना गढ़ सकता है? नानक कहते हैं कि वही कुछ प्रारब्ध-लिखित प्राप्त हो पाता है जो पूर्व-कर्मों का संचित फल है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : गुरु नानकदेव वाणी और विचार (पृष्ठ 226)
    • संपादक : रमेशचंद्र मिश्र
    • रचनाकार : गुरु नानक
    • प्रकाशन : संत साहित्य संस्थान
    • संस्करण : 2003
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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