हमरा नैना दरस पियासा हो
hamra naina daras piyasa ho
हमरा नैना दरस पियासा हो।
तन गयो सूखि हाय हिये बाढ़ी जीवत हूँ वहि आसा हो॥
बिछरन थारो मरन हमारो मुख में चलै न ग्रासा हो।
नींद न आवै रैनि बिहावै तारे गिनत अकासा हो॥
भये कठोर दरस नहिं जाने तुम कूँ नेक न साँसा हो।
हमरी गति दिन दिन औरै ही बिरह बियोग उदासा हो॥
सुकदेव पियारे मत रहु न्यारे आनि करो उर बासा हो।
रनजीता अपनी करि जानी निज करि चरनन दासा हो॥
- पुस्तक : हिंदी के जनपद संत (पृष्ठ 171)
- रचनाकार : चरनदास
- प्रकाशन : मोेतीलाल बनारसी, दिल्ली
- संस्करण : 1963
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