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चहुँ दिस झिलमिल झलक निहारी

chahun dis jhilmil jhalak nihari

चरनदास

चरनदास

चहुँ दिस झिलमिल झलक निहारी

चरनदास

और अधिकचरनदास

    चहुँ दिस झिलमिल झलक निहारी।

    आगे पीछे दहिने वायें तल ऊपर उँजियारी॥

    दृष्टि पलक त्रिकुटी है देखै आसन पद्म लगावै।

    संजम साधै दृढ़ आराधै जब ऐसी सिधि पावै॥

    बिन दामिनि चमकार बहुत हीं सीप बिना लर मोती।

    दीप मालिका बहुत दरसावें जगमग जगमग जोती॥

    ध्यान फलै तब नभ के माहीं पूरन हो गति सारी।

    चाँद घने सूरज अनकी ज्यों सूभर भरिया भारी॥

    यह तौ ध्यान प्रतच्छ बतायौ सरधा होय तो कीजै।

    कहिं सुकदेव चरन ही दासा सो हमसूँ सुनि लीजै॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी के जनपद संत (पृष्ठ 178)
    • रचनाकार : चरनदास
    • प्रकाशन : मोेतीलाल बनारसी, दिल्ली
    • संस्करण : 1963

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    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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