अवधू बेगम देस हमारा
avdhuu begam des hamaara
अवधू बेगम देस हमारा।
राजा-रंक-फ़क़ीर-बादसा सबसे कहौं पुकारा।
जो तुम चाहो परम पद को, बसिहो देस हमारा॥
जो तुम आये झीने होके, तजो मन की भारा।
धरन-अकास-गगन कछु नाहीं, नहीं चंद्र नहिं तारा॥
सत्त-धर्म की हैं महताबें, साहेब के दरबारा।
कहैं कबीर सुनो हो प्यारे, सत्त-धर्म है सारा॥
अवधू, हमारा देश वह है जहाँ कोई ग़म नहीं है। यह बात हम राजा और भिखारी, फ़क़ीर और बादशाह सबसे पुकार-पुकारकर कह रहे हैं। अगर तुम परम पद को पाना चाहते हो तो हमारे देश में आकर बस जाओ। अगर तुम थककर चूर हो गए हो तो यहाँ मन का बोझ हलका कर लो। इस जगह ज़मीन, आसमान, चाँद-तारे कुछ भी नहीं। प्रभु के दरबार में सत्य-धर्म की महताबें जगमगा रही हैं। प्यारे भाई सुनो, कबीर कहते हैं कि सत्य-धर्म ही सब कुछ है और बाक़ी कुछ नहीं।
- पुस्तक : कबीर बानी (पृष्ठ 87)
- रचनाकार : अली सरदार जाफ़री
- प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन प्रा. लि.
- संस्करण : 2010
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