Font by Mehr Nastaliq Web

बुद्धि रास (ठवणि)

buddhi ras (thawani)

शालिभद्र सूरि

शालिभद्र सूरि

बुद्धि रास (ठवणि)

शालिभद्र सूरि

और अधिकशालिभद्र सूरि

    पणमवि देवि अंबाई, पंचाइण गामिणी।

    समरवि देवि सीधाई, जिण सासण सामणि।।

    पणमिउ गणहरु गोयम स्वामि, दुरिउ पणासइ जेहनइ नामिइं।

    सुहगुरु वयणे संग्रह कीजइं, भोलां लोक सीषामण दीजइ।।

    केई बोल जि लोक प्रसिद्धा, गुरु उवएसिइं केई लीद्धा।

    ते उपदेश सुणउ सवि रूडा, कुणहइ आल देयो कूडा।।

    जाणीउ धरमु जीव विणासु, अणजाणिइ घरि करिसि वासु।

    चोरीकारु चडइ अणलीधी, वस्तु सु किमइ लेसि अदीधी।।

    परि घरि गोठि किमइ जाइसि, कूड उं आलु तुं मुहियां पामिस।

    जे घरि हुई एकली नारि, किमइं जाइसि तेह घरबारि।।

    घरपच्छोकडि राषे छीडी, वरजे नारि जि बाहिरि हीडी।

    परस्त्री बहिनि भणीनइ माने, परस्त्री बयण धरजे काने।।

    मइ एकलउ मारगि जाए, अणजाणिउ फल किमइं षाए।

    जिमतां माणस द्रे ठी देजे, अकहिं परि घरि किंपि लेजे।।

    वडां ऊतर किमइं दीजइं, सीष देयंतां रोस कीजइं।

    ओछइ वासि बसिजे कीमइं, धरमहीणु भव जासिइ ईमइ।।

    छोरू वीटी हुइ नारि, तउ सीषामण देजे सारी।

    अति अंधारइ नइ आगासइं, डाहउ कोइ जिमवा बइसइं।।

    सीषि पिसुनपणु अनु चाडी, वचन दूमिसि तू निय माडी।

    मरम पीयारु प्रगट कीजइ, अधिक लेइ नवि ऊछुं दीजइ।।

    विसहरु जातु पाय चांपे, आविइ मरणि हीयडइ कांपे।

    ग्रहणारु पाषइं ब्याजि देजे, अणपूछिइ घरि नीर पीजे।।

    कहिसि कुणहनीय घरि गूझो, मोटां सिउं मांडिसि झूजो।

    अणविमास्यां करिसि काज, तं करेवं जिणि हुइं लाज।।

    जणि वारितउ गामि जाए. तं बोले जे पुण निरवाहे।

    षातु कांइ हींडि मागे, पाछिम राति बहिलु जागे।।

    हियडइ समरि कुल आचारो, गणि असार एह संसारो।

    पांचे आंगुलि जं धन दीजइं, परभवि तेहतणुं फलु लीजइ।।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आदिकाल की प्रामाणिक रचनाएँ (पृष्ठ 31)
    • संपादक : गणपति चंद्र गुप्त
    • रचनाकार : शालिभद्र सूरि
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हॉउस
    • संस्करण : 1976

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए