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विलियम फॉकनर

1897 - 1962 | न्यू अल्बानी

विलियम फॉकनर की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 16

अगर मैं ख़ुश हो सकता हूँ, तब मैं खुश हो जाऊँगा; अगर मुझे मुझे दुखी होना है, तब मुझे दुख उठाना ही पड़ेगा।

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कितनी ही बार मैं घर के बारे में सोचते हुए, बारिश में किसी अजनबी छत पर सो चुका हूँ।

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सपनों का एक समय में एक ही मालिक होता है। इसलिए सपने देखने वाले अकेले होते हैं।

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बात करो, बात करो, बात करो : शब्दों की निरी शोकाकुल करने वाली मूर्खता।

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लेखक मत बनो। लिखो।

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