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वियोगी हरि

1895 - 1988 | छतरपुर, मध्य प्रदेश

शुक्लयुगीन हिंदी गद्यकार और ब्रज भाषा के कवि। गांधीवाद के अनुसरण और दलित सेवा के लिए भी उल्लेखनीय।

शुक्लयुगीन हिंदी गद्यकार और ब्रज भाषा के कवि। गांधीवाद के अनुसरण और दलित सेवा के लिए भी उल्लेखनीय।

वियोगी हरि की ई-पुस्तक

वियोगी हरि की पुस्तकें

4

गोस्वामी तुलसीदास के सुबोध दोहे

1979

मेरा जीवन प्रवाह

ब्रज्माधुरिसार

1990

श्रद्धा-कण

Recitation

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