1926 - 2013 | जोधपुर, राजस्थान
हिंदी-राजस्थानी के समादृत कथाकार। साहित्य-अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।
एक मायापति सेठ था। उसके इकलौते बेटे की बरात धूमधाम से ब्याह करके वापस आ रही थी। ज़रा सुस्ताने के लिए बरात एक ठौर रुकी। घेर-घुमेर खेजड़ी की घनी छाया। सामने हब्बाहोल ठाटें मारता तालाब। काच-सा निरमल पानी। सूरज सर पर चढ़ आया था। झुलसते जेठ की लुएँ साँए-साँए
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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