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विजय कुमार

1948 | मुंबई, महाराष्ट्र

सुपरिचित कवि-आलोचक और अनुवादक। 'अदृश्य हो जाएँगी सूखी पत्तियाँ', 'चाहे जिस शक्ल से' और 'रात-पाली' शीर्षक से तीन कविता-संग्रह प्रकाशित।

सुपरिचित कवि-आलोचक और अनुवादक। 'अदृश्य हो जाएँगी सूखी पत्तियाँ', 'चाहे जिस शक्ल से' और 'रात-पाली' शीर्षक से तीन कविता-संग्रह प्रकाशित।

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