राजेन्द्रसिंह बेदी
सन् 1636 की बात है, मुंशी प्रेमचंद के देहांत के सिलसिले में लाहौर के सस्थानीय होटल में शोक सभा हुई।
मेरे साहित्यिक जीवन की शुरुआत ही थी। मुश्किल से दस-बारह कहानियाँ लिखी होंगी, जो साधारण कठिनाई के बाद धीरे-धीरे पत्र पत्रिकाओं में स्थान पाने लगीं। हम