सन् 1636 की बात है, मुंशी प्रेमचंद के देहांत के सिलसिले में लाहौर के सस्थानीय होटल में शोक सभा हुई। मेरे साहित्यिक जीवन की शुरुआत ही थी। मुश्किल से दस-बारह कहानियाँ लिखी होंगी, जो साधारण कठिनाई के बाद धीरे-धीरे पत्र पत्रिकाओं में स्थान पाने लगीं। हम
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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