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वृंदाविपिन विलासी राधा और कृष्ण के उपासक निंबार्क संप्रदाय के महत्त्वपूर्ण कवि।
तनिक न धीरज धरि सकै, सुनि धुनि होत अधीन।
बंसी बंसीलाल की, बंधन कों मन-मीन॥
जनम-जनम जिनके सदा, हम चक्कर निसि-भोर।
त्रिभुवन-पोषन सुधाकर, ठाकुर जुगल-किशोर॥
मोहन दन ब्रजभूमि सब, मोहन सहज समाज।
मोहन जमुना कुंज तहँ, बिहरत श्रीब्रजराज॥
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जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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