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प्रभाकर माचवे

1917 - 1991 | ग्वालियर, मध्य प्रदेश

अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तार सप्तक’ के कवि। कथा-लेखन में भी सक्रिय रहे।

अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तार सप्तक’ के कवि। कथा-लेखन में भी सक्रिय रहे।

प्रभाकर माचवे का परिचय

‘तार सप्तक’ के कवि प्रभाकर माचवे का जन्म 26 दिसंबर 1917 को एक मराठी परिवार में ग्वालियर में हुआ था। दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर के बाद उन्होंने ‘हिंदी-मराठी निर्गुण संत काव्य’ विषय पर आगरा विश्वविद्यालय से शोध पूरा किया। देश-विदेश में प्राध्यापन के साथ ही वह संघ लोक सेवा आयोग में विशेष भाषाधिकारी और साहित्य अकादेमी के सचिव के रूप में कार्यरत रहे। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में मानद फेलो और भारतीय भाषा परिषद्, कलकत्ता में निदेशक के रूप में भी उनकी संबद्धता रही। बाद में ‘चौथा संसार’ (इंदौर) के संस्थापक संपादक बने। 

वह विद्यार्थी जीवन से ही कविताएँ लिखने लगे थे। उनकी पहली कविता 1934 में माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा संपादित ‘कर्मवीर’ में छपी। 1935 में प्रेमचंद ने ‘हंस’ में उनकी पहली कहानी प्रकाशित की। इसी तरह निराला द्वारा 1936 में ‘सुधा’ में उनका पहला लेख छापा। 1937 में उन्होंने जैनेंद्र के दार्शनिक विचारोंवाले निबंधों का संपादन किया जो ‘जैनेंद्र के विचार’ नाम से प्रकाशित हुआ। 1938 में अज्ञेय ने ‘विशाल भारत’ में उनकी दो इंप्रेशनिस्ट कविताएँ छापीं।

प्रभाकर माचवे द्वारा लिखित, अनूदित, संपादित पुस्तकों की संख्या सवा सौ से अधिक है। ‘स्वप्न भंग’, ‘अनुक्षण’ और ‘विश्वकर्मा’ उनके प्रमुख काव्य-संग्रह हैं। उन्होंने हिंदी, मराठी और अंग्रेज़ी में समान अधिकार से लिखा है। वह बहुभाषाविद् थे। भारत की बहुत सी भाषाएँ समझ और बोल लेते थे। अपने इस भाषाज्ञान का उपयोग उन्होंने हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए किया। चित्रकला में भी उनकी रुचि थी और उन्होंने इसकी शिक्षा ली थी। उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

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