सितारगढ़ नरेश शंभुनाथ सिंह सोलंकी ही 'नृप शंभु', 'शंभु कवि' और 'नाथ कवि' के नाम से प्रचलित हैं। 'काव्य निराली' नामक ग्रंथ से इनकी प्रसिद्धि है। अनेक कवियों के आश्रयदाता होने के कारण इन्हें 'कवि कोविदों का कल्पवृक्ष' भी कहा जाता है।
सितारगढ़ नरेश शंभुनाथ सिंह सोलंकी ही 'नृप शंभु', 'शंभु कवि' और 'नाथ कवि' के नाम से प्रचलित हैं। 'काव्य निराली' नामक ग्रंथ से इनकी प्रसिद्धि है। अनेक कवियों के आश्रयदाता होने के कारण इन्हें 'कवि कोविदों का कल्पवृक्ष' भी कहा जाता है।
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