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मुनि रामसिंह

1000 | राजस्थान

1000 ई. के आस-पास राजस्थान में हुए विशुद्ध रहस्यवादी जैन कवि। भारतीय अध्यात्म में भावात्मक अभिव्यंजना की अभिव्यक्ति के लिए उल्लेखनीय।

1000 ई. के आस-पास राजस्थान में हुए विशुद्ध रहस्यवादी जैन कवि। भारतीय अध्यात्म में भावात्मक अभिव्यंजना की अभिव्यक्ति के लिए उल्लेखनीय।

मुनि रामसिंह की संपूर्ण रचनाएँ

काव्य खंड 23

उद्धरण 2

हे योगी! जिस-जिस शिव को देखने के लिए तू तीर्थ से तीर्थ घूमता-फिरता है, वह शिव तो तेरे साथ-साथ घूमता फिरा तो भी तू उसे पा सका।

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हे मूर्ख! तू मनुष्यों द्वारा निर्मित मंदिरों को तो देखता है परंतु अपने शरीर को नहीं देखता जहाँ शांत शिव स्थित हैं।

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