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हिंदी के उल्लेखनीय कवि-आलोचक। अपनी डायरियों के लिए विशेष चर्चित, लेकिन अब अलक्षित।

हिंदी के उल्लेखनीय कवि-आलोचक। अपनी डायरियों के लिए विशेष चर्चित, लेकिन अब अलक्षित।

मलयज की संपूर्ण रचनाएँ

कविता 69

उद्धरण 32

आलोचना आधुनिक काल की ज़रूरत है। जहाँ से आदमी अपने को कंफ्रंट करता है, अपने को संबोधित करता है।

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सिर्फ़ तनाव में रहकर कुछ नहीं किया जा सकता।

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मैं कविता से ही सब कुछ क्यों चाहता हूँ, ख़ुद से क्यों नहीं?

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शब्द स्वयं एक बाधा है—अभिव्यक्ति के रास्ते में।

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सुरक्षा बचने में नहीं है। सुरक्षा कहीं नहीं है। सुरक्षा एक गए युग का मुहावरा है—तुम्हारी ज़ुबान पर अब यह अजनबी लगता है।

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