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महापात्र नरहरि बंदीजन

1535 - 1610 | फ़तेहपुर, उत्तर प्रदेश

अकबर के दरबारी कवि। भक्ति और नीति संबंधी कविताओं के लिए स्मरणीय।

अकबर के दरबारी कवि। भक्ति और नीति संबंधी कविताओं के लिए स्मरणीय।

महापात्र नरहरि बंदीजन के दोहे

नरहरि जप तप नेम व्रत सबु सबही ते होइ।

प्रीति निबाहन एक रस, नहिं समरथ कलि कोइ॥

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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