Font by Mehr Nastaliq Web
Guru Tegh bahadur's Photo'

गुरु तेग़ बहादुर

1621 - 1675 | अमृतसर, पंजाब

सिक्खों के नौवें गुरु। निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदाहरण। मानवीय धर्म एवं वैचारिक स्वतंत्रता के लिए महान शहादत देने वाले क्रांतिकारी संत।

सिक्खों के नौवें गुरु। निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदाहरण। मानवीय धर्म एवं वैचारिक स्वतंत्रता के लिए महान शहादत देने वाले क्रांतिकारी संत।

गुरु तेग़ बहादुर की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 54

धन दारा संपत्ति सकल, जिनि अपनी करि मानि।

इन में कुछ संगी नहीं, नानक साची जानि॥

  • शेयर

विरध भइओ सूझै नहीं, काल पहुँचिओ आन।

कहु नानक नर बावरे, किउ भजै भगवान॥

  • शेयर

घटि-घटि मैं हरि जू बसै, संतन कह्यो पुकारि।

कह नानक तिह भनु मना, भउ निधि उतरहि पारि॥

  • शेयर

तनु धनु संपै सुख दिओ, अरु जिह नीके धाम।

कह नानक सुनु रे मना, सिमरत काहे राम॥

  • शेयर

तरनापो इउँही गइओ, लिइओ जरा तनु जीति।

कहु नानक भजु हरि मना, अउधि जाति है बीति॥

  • शेयर

सबद 30

सोरठा 2

 

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए