1871 - 1936
एलिया कचहरी में बेकार-सा रहता था। उन दिनों लोग कचहरी से दूर ही रहना पसंद करते थे। बड़े से बड़े वकील भी छोटे-छोटे मुक़दमे लेने के लिए मज़बूर थे। एलिया के पास तो कोई भी मुक़दमा न आता, फिर भी वह कचहरी में जाता और वहाँ एकांत में बैठकर अपनी पत्नी को संबोधित
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